वंदे मातरम
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वंदे मातरम .
धन्य धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले
उड़े अबीर गुलाल हवा में सब मिल गोद खेले
तिहुँ ओर घिरी जल से धरती हिमालय बना प्रहरी
सूरज सबसे पहले उग कर बिखेरे छटा सुनहरी
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई चारा निभाते
होली ईद हो या दिवाली संग मिल पर्व मनाते
सुखदेव सुभाष भगत सिंह वीर अमर बलिदानी
रिक्त नहीं धरती वीरों से बच्चा बच्चा दे कुर्बानी
बलिदानी वीरों को सब जन श्रद्धा सुमन चढायें
भूलें न कभी भी उनको मिल आजादी पर्व मनायें
धर्म जाति का नही बंधन एक आवाज पर आते
अभिनंदन एक दूजे का करते वंदे मातरम गाते
वंदे मातरम .
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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वंदे मातरम .
धन्य धरा भारत की जहाँ पग पग लगते मेले
उड़े अबीर गुलाल हवा में सब मिल गोद खेले
तिहुँ ओर घिरी जल से धरती हिमालय बना प्रहरी
सूरज सबसे पहले उग कर बिखेरे छटा सुनहरी
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब भाई चारा निभाते
होली ईद हो या दिवाली संग मिल पर्व मनाते
सुखदेव सुभाष भगत सिंह वीर अमर बलिदानी
रिक्त नहीं धरती वीरों से बच्चा बच्चा दे कुर्बानी
बलिदानी वीरों को सब जन श्रद्धा सुमन चढायें
भूलें न कभी भी उनको मिल आजादी पर्व मनायें
धर्म जाति का नही बंधन एक आवाज पर आते
अभिनंदन एक दूजे का करते वंदे मातरम गाते
वंदे मातरम .
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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