Friday, 15 August 2014

युवा भारत

युवा भारत 
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उमंग से भरे चेहरे 
पल होंगे तभी सुनहरे 
मिले दिशा जब उस ओर 
होती है जिधर से भोर
खिलती कली खिलती धूप
बहती नदी खिलता रूप
उन्मुक्त हो गगन उड़ान
नारी स्वयं की पहचान
सफल होय जीवन अपना
शेष रहे न कोई सपना
गीत मिल वो गुनगुनाएं
आओ सब स्वर्ग बनायें
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

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