Wednesday 19 August 2015

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
कैलाश विराजत भोले तुम
गौरा विराजें बाएं सदा
गणेश खेले  आंगन तेरे 
 होवें हर्षित सब देख अदा 
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
शशि भाल विराजत तेरे 
शीश जटा गंगा धारा ,
ननदी गण  धूम मचावत  
शिव शिव लगता जयकारा 
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
 अनगिन लपटे रहत  कंठ भुजंग
विराजत गल  मुंडन  की माला 
 डमरू बजावत  कर लिए त्रिशूल
तन भस्म रमे पहने मृगछाला

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

लीन सदा हरि ध्यान करत 
 नीलकंठ  भये पी विष प्याला 
राम रमा सुमिरत हर क्षण 

                                   जीने का मंत्र निराला 

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

आदिअनादियोगीमलंग
पा  द्रष्टि भस्म हुआ अनंग
ध्यान धरे राजीव लोचन
महा म्रतुन्जय संकट मोचन

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

 सब का पालक जगत नियंता
दुष्टन का है तू प्रबल हन्ता 
स्तुति गावें नारद मुनि ज्ञानी
सम्पूर्ण ब्रम्ह तू महा विग्ग्यानी

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

शिव पारवती शुभ लगन दिवस
पूर्ण हो आशा कोई  न विवश
बाला, सुहागन बन तेरी पुजारी
पूजा अर्चना  नित करत  तुम्हारी

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय

मिट गए सारे  राग द्वेष
निर्मल हुई हर भावना
उर आनंद सरिता बह चली
प्रदीप”  कर तेरी साधना

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

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