Friday 18 October 2013

नाना नाती उवाच ——-पिकहा बाबा अवतार

                           नाना नाती उवाच ——-पिकहा बाबा अवतार
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नाना नाना ई बतावा फिर कौनो  बात हो गई
चेहरा काहे लटकौले नानी से मुलाक़ात हो गई
चुप रहो नाती न बोलो पकड़ो   ई दस रुपिया
दोनों ओर आग लगावत नानी के तुम खुफिया
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नानी खफा बहुत हमसे ढूंढ रही वो बेला
कौन बनाया लेखक हमको  इंटरनेट  पे ठेला
इंटरनेट  पे ठेला बैठ अनगिनत बीमारी पाई
धेला  मिला न एक कहीं से नाहक गोली खाई
धधा कोई और सोचते साहित्य बड़ा झमेला
पानी बंद लौकी खाते सवेरे नित पीते  करेला
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नाना देखो समय कम हो रहे तुम अब रिटायर
बनो देश के नेता अभिनेता बेकार हैं अब शायर
हाथ जोड़ नेता जनता में  बड़े प्रेम से   आते
पीते खून उसी जनता का लौट दुबारा  न जाते
भरते झोली नोटन वोटन से सैर विलायत करते
सात पीढ़ी की करते व्यवस्था हवा में डग भरते
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न न  नाती माफ करो मुझसे ना होगा ऐसा गोरख धंधा
जीवन सादा सचरित्र जिया पैसा देख हुआ कभी  न अंधा
दीन दुखी मेरे हैं अपने अभी पूरे  करने शेष अधूरे सपने
भूख गरीबी बलात्कार रंग जाति  भेद के नाग लगे डसने
प्रश्न जटिल उलझी गुत्थी  छाया चहुँ दिस घन  घोर अँधेरा
क्या करूँ कैसे करूँ राह न सूझे  कब होगा जीवन में  सवेरा
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सुनो ध्यान से नाना एक बात क्यों नाहक मेरा सर खाते
करो समाज सेवा हर विधि क्यो न  साधू बाबा बन जाते
बरसों का अनुभव तुम्हारा नीति  रही जन कल्याण कारक
दरिद्र नारायण सेवा कर दुष्टन से रक्षा करो बन अस्त्र मारक
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अक्टूबर ०६ , २०१२ को पिकहा बाबा लीन्ह मनुज अवतार
जन सेवा रत इंटरनेट पे सदा मिलें  लें आशीष करें भवपार
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 


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