आत्मा नन्द
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बाबा कभी साधू दिखते
कभी दिखते महान संत
बात शुरू वहाँ से करते
करते लोग जहाँ से अंत
पहनत गात सदा साधारण
सीधे सरल रत सद् आचरण
मन में भेद न उनके कोई
जस जस सुमिरो तस तस होई
करते न जग से छल प्रपंच
बैठत बीच हमारे बिना मंच
सुख दुःख सदा साथ हमारे
दिल से बस जाएँ पुकारे
कहता कोई उनको बाबा
भेद न मंदिर हो या काबा
कोई कहता स्वामी स्वामी
तज अभिमान बने अनुगामी
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बाबा कभी साधू दिखते
कभी दिखते महान संत
बात शुरू वहाँ से करते
करते लोग जहाँ से अंत
पहनत गात सदा साधारण
सीधे सरल रत सद् आचरण
मन में भेद न उनके कोई
जस जस सुमिरो तस तस होई
करते न जग से छल प्रपंच
बैठत बीच हमारे बिना मंच
सुख दुःख सदा साथ हमारे
दिल से बस जाएँ पुकारे
कहता कोई उनको बाबा
भेद न मंदिर हो या काबा
कोई कहता स्वामी स्वामी
तज अभिमान बने अनुगामी
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