वन्दे मातरम्
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जो हुआ अब बहुत हुआ
अब न होने पायेगा
टकराने वाला शेष न बचेगा
वह चूर चूर हो जाएगा
जाग गया है हिन्दुस्तान
हर जन यहाँ प्रहरी है
विकास के रास्ते खुल चुके हैं
शान्ति की जड़ गहरी है
टैगोर, तिलक, सुभाष, भगत की धरती
विभिन्न धर्मों की संगत सजती
पंचशील सिद्धांत हमारे
शास्त्री , नेहरु और बापू प्यारे
तुलसी, कबीर, सूर की वाणी
एक से एक कवि, मुनि, विज्ञानी
सात रंगों में सभी रंग न्यारे
हरा, सफ़ेद और केसरिया प्यारे
इसमें बसता भारत हमारा
विश्व विजयी तिरंगा प्यारा
आओ इसको शीश नवायें
भारत माता की जय गायें
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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जो हुआ अब बहुत हुआ
अब न होने पायेगा
टकराने वाला शेष न बचेगा
वह चूर चूर हो जाएगा
जाग गया है हिन्दुस्तान
हर जन यहाँ प्रहरी है
विकास के रास्ते खुल चुके हैं
शान्ति की जड़ गहरी है
टैगोर, तिलक, सुभाष, भगत की धरती
विभिन्न धर्मों की संगत सजती
पंचशील सिद्धांत हमारे
शास्त्री , नेहरु और बापू प्यारे
तुलसी, कबीर, सूर की वाणी
एक से एक कवि, मुनि, विज्ञानी
सात रंगों में सभी रंग न्यारे
हरा, सफ़ेद और केसरिया प्यारे
इसमें बसता भारत हमारा
विश्व विजयी तिरंगा प्यारा
आओ इसको शीश नवायें
भारत माता की जय गायें
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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