ये भारत देश हमार है
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शस्य श्यामला धरती अपनी
भाल हिमालय मुकुट श्रंगार है
झर झर झरते झरने मही पर
कल कल बहती नदियों की बहार है
ये भारत देश हमार है
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शस्य श्यामला धरती अपनी
भाल हिमालय मुकुट श्रंगार है
झर झर झरते झरने मही पर
कल कल बहती नदियों की बहार है
ये भारत देश हमार है
कई सम्प्रदायों से बसी ये धरती
पर करते आपस में प्यार है
भाषा बदले भूषा बदले
आपस में न कोई तकरार है
ये भारत देश हमार है
मानव धर्म सबसे हसीं
इंसानियत का व्यवहार है
होली हो या ईद दीवाली
पर्व दशहरा सबका ये त्यौहार है
ये भारत देश हमार है
पर करते आपस में प्यार है
भाषा बदले भूषा बदले
आपस में न कोई तकरार है
ये भारत देश हमार है
मानव धर्म सबसे हसीं
इंसानियत का व्यवहार है
होली हो या ईद दीवाली
पर्व दशहरा सबका ये त्यौहार है
ये भारत देश हमार है
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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