Friday 15 August 2014

भारत का भविष्य बनाओ

भारत का भविष्य बनाओ
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वे सपनो के सौदागर हैं
सपने हमें दिखाते हैं
लाख सही हम होशियार
झांसे में फिर भी आ जाते हैं
वादा तो करते हैं अनेकों
सब्जबाग दिखलाते हैं
ये करूंगा वो करूंगा
सबके दारुण दुःख हरूँगा
ऐसा आश्वासन दे हमें
शवासन में पहुंचाते हैं
धर्म, जाति और छेत्रवाद के दर्पण में
अपना रूप दिखाते हैं
जो हम कभी नहीं थे बंटे हुए
अब आपस में लड़ खून बहाते हैं
खेलें खेल फकीरों का वे
मकड़ जाल बिछाते हैं
गरीबी दूर करेंगे हम
गरीबों को ही मिटाते हैं
बी पी एल की लाइन हटा कर
जनहित में एफ डी आई लाते हैं
भ्रष्टाचार करेंगे दूर कह
भ्रष्टाचार बढ़ाते हैं
नहीं भ्रष्ट हैं कह कर भी
जेलों में जाते हैं
कृषि नीति को देंगे बढ़ावा
उपज मूल्य से कम पर बिकवाते हैं
किसान करता आत्मदाह
हा हा कर शोर मचाते हैं
शिक्षक नहीं हैं विद्यालयों में
शिक्षा किसे दिलाते हैं
जन्मती बच्चा सड़कों पे
जननी सुरक्षा योजना चलाते हैं
आज बनी और कल टूटी
ऐसी सड़क बनवाते हैं
चलना दूभर हो गया सड़क पर
गलियारे में चलवाते हैं
एल पी होती दवा बडन को
निर्धन लाइन लगाते हैं
बिकता नहीं जो दूसरे देशों में
आयात उसका करवाते हैं
लाभ योजना का नहीं पहुँचता
बच्चे बूढ़े औ नवजवानों को
खुद हाशिये पर पड़े रहो
छकने दो मस्तानों को
उनकी मस्ती का आलम देख कर
हम भी बहुत मस्ताते हैं
रोना फिर किस बात का भैया
नयन होते भी दृष्टिबाधित हो जाते हैं
बहुत सी लिया बहुत पी लिया
अब तुम्हारी बारी है
सपने देखो इंकार नहीं
ये उन्नत पथ के प्रभारी हैं
जो गलती की अब तक
उसे न फिर दोहराना
अवसर आये जब मत देने का
तुम घर भर सब जाना
सावधान रहना इन सौदागरों से
भूल न होने पाए
योग्य पाओ जिन्हें तुम
सर माथे बैठाओ
अपनी तो बीत चुकी अब
भारत का भविष्य बनाओ
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

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