राष्ट्र धर्म राष्ट्र चेतना
की सुधि किन्हें कब आती है
घर की देहरी पर चुपके से वो
जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है
की सुधि किन्हें कब आती है
घर की देहरी पर चुपके से वो
जलते दीपक को आँचल उढ़ाती है
कुछ करते नमन शहीदों को
कुछ घर में ही रह जाते हैं
भूले भटके यदा कदा
वीरों के गीत सुनाते हैं
कुछ घर में ही रह जाते हैं
भूले भटके यदा कदा
वीरों के गीत सुनाते हैं
करते रक्षा देश की जो
देते अपनी कुर्बानी
बहाते लहू जिनके लिए
भूल अपनी जवानी
देते अपनी कुर्बानी
बहाते लहू जिनके लिए
भूल अपनी जवानी
टूटे सपने बुनते अपने
घुट घुट कर मर जाते हैं
सूनी गोद उजड़ी मांग
रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं
घुट घुट कर मर जाते हैं
सूनी गोद उजड़ी मांग
रक्षा बंधन कैसे मनाते हैं
होली मनाते दीवाली मनाते
दुनिया का हर पर्व मनाते हो
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
दुनिया का हर पर्व मनाते हो
मनाते जैसा प्रेम दिवस
शहीद दिवस मनाते हो ?
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
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