Friday 15 August 2014

आग

आग 
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आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई 
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
प्यारा कितना देश था भारत
सारा जग करता था आरत
सत्ता की खातिर देश को बांटा
जो मिला उसे एक दूजे ने काटा
भाइयों में खूब जंग करायी
आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
हिन्दू बांटे मुस्लिम बाटें
पग पग पर बोये कांटे
बहा लहू धरती पे जिनका
दोष बता क्या था उनका
तूने मेहँदी उससे रचायी
आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
मंदिर बांटा मस्जिद बांटा
जाति धर्म में देश को काटा
गुरुद्वारा भी बच न पाया
पड़ा वहां आतंक का साया
भयभीत हुए ईसाई भाई
आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
वोट मांगने जब थे आये
लगते थे दूधों नहाये
शालीनता का किये वरन
पकडे तुमने जनता के चरन
कुर्सी संग करी सगाई
आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
वादा एक पूरा किया न तूने
महंगाई ग्राफ लगा आसमां छूने
गृह उद्द्योग पनप न पाए
घने हो गए उनपे साये
ऊपर से ले आये एफ डी आई
आरक्षण की नेता तुमने
ये कैसी आग लगाई
मिल जुल संग जो साथ रहे
दुश्मन हो गए भाई
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

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