Tuesday 19 August 2014

दुनिया रंग रंगीली बाबा (संशोधित)

दुनिया  रंग रंगीली बाबा (संशोधित)
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दुनिया  रंग रंगीली बाबा
किस्से इसके   सुनता हूँ
अंगडाई  ले  उगता सूरज 
पथ अपना मैं   चुनता हूँ 
काली भूरी मिटटी नीचे 
बैठी गिलहरी नैना  मीचे 
हरी घास  अम्बर है   नीला
लाल गुलाब गेंदा पीला
बाला ओढ़े धानी चुनरिया
सांवरा मोरा  किशन  कन्हैया
मन मन सुमिरन करता  हूँ
दुनिया  रंग रंगीली बाबा
किस्से इसके   सुनता हूँ
रिश्तों के भी रंग अनोखे
एक दूजे को  देते  धोखे
भाई बहन क्या चाचा  नाना
रिश्ते को बस चादर माना 
जिसने दिया सुन्दर संसार 
पूत दिखाता उसको द्वार 
देख दशा  सर धुनता हूँ
दुनिया  रंग रंगीली बाबा
किस्से इसके   सुनता हूँ
इन्द्र धनुष की छटा निराली
छायी घटा   घनी  हरियाली
गरजत मेघ घटा घनघोर
मोर  पपीहा मचावत शोर
कोयलिया अमराई   कूके
मन ही मन   जियरा  हूके
तन्हाई में घुलता  हूँ
दुनिया  रंग रंगीली बाबा
किस्से इसके   सुनता हूँ
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
१९-०८-२०१४ 

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