Friday 15 August 2014

भारत और हम

भारत और हम
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भारत सदैव
आजाद था
आजाद है 
आजाद रहेगा
गुलामी और आजादी
का कैसे भान हो
शासक कोई, शासन कोई
चाहें जो सरकार हो
जब मानसिकता विकलांग हो
भारत कभी जकड़ा नहीं
गुलामी की जंजीर में
देखने का दोष जो
सदा रहा तक़दीर में
लाख लिखने वालों ने
लिखा हो तहरीर में
भारत था आजाद
आज भी आजाद है
दुर्दशा का कारण स्वयं
दोष देते आन का
चाहिए कन्धा सदैव
ध्यान नहीं मान का
एक दूसरे से नाराज हैं
करते स्वयं कुछ भी नहीं
सोचते विचारते हैं बहुत
गलत सही का भान नहीं
बदलती सत्ता पे चाहें
जश्न जितना मना लो
बदलोगे नहीं आप को
तो कुछ नहीं पाओगे
जैसे रहे तुम सदा
वैसे ही रह जाओगे
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा

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